जिस ज़माने में सीक्वल के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था वो करके दिखाया था

जिस ज़माने में सीक्वल के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था वो करके दिखाया था

जी हाँ आज हम आपको बताना चाहते हैं सत्यजीत रे की तीन मशहूर फिल्मों के बारे में। वह कहते हैं ना फिल्में समाज का आईना होती है, हमारे आसपास क्या हो रहा है । लोग कैसे जिंदगी गुजर रहे हैं , एक इंसान के जिंदगी के वास्तविक उतार-चढ़ाव को दिखा पाने में ‘ सत्यजीत रे' यहां इतनी उम्दा तरीके से सफल रहे कि उन्होंने उपन्यासों पर आधारित कहानी को एक आदमी की जिंदगी में घट रहे वास्तविक घटनाओं को पर्दे पर उतार दिया। बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास पाथेर पांचाली, अपराजितो और इसी के दूसरे भाग पर आधारित अपूर संसार और इसी तरह बन जाता है।

"अपु ट्राइलॉजी ( best human document ) by : Satyajit Ray

तीनों ही फिल्मों की पृष्ठभूमि एक उपन्यास पर आधारित है और इस  फिल्म का नायक एक उपन्यास लिखने के जिद के साथ जिंदगी गुजार देता है। कहानी शुरू होती है हरिहर से और खत्म होती है आकर अपु पर।

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